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Anupam | अनुपम
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National President @yuvahallabol | Founder of Sanyukt Yuva Morcha, an alliance of 113 orgs | with @INCIndia
सुखपुर (सुपौल)
Joined September 2009
दिल्ली का यह चुनाव अरविंद केजरीवाल का रेफरेंडम था। इसलिए यह नतीजा भाजपा की जीत से कहीं ज्यादा आआपा की हार है। 2015 और 2020 विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी की चरम लोकप्रियता में भी ऐसे परिणाम नहीं आए थे। इसलिए यह निष्कर्ष बिल्कुल नहीं निकालना चाहिए कि लोगों में बीजेपी के प्रति समर्थन बढ़ गया है। ये तो सिर्फ और सिर्फ इस बात का परिचायक है कि दिल्ली की जनता हर कीमत पर केजरीवाल को हटाना चाहती थी और इसके लिए एकमुश्त वोट कर डाला। मतलब यह उम्मीद का जनादेश नहीं, एक धूर्त नेता से छुटकारा पाने का जनादेश है। दिल्ली की जनता AAP और BJP के आपसी झगड़े और बहानेबाजी से दुखी और त्रस्त हो चुकी थी। तो वोटरों ने तंग आकर एक ऐसी सरकार चुन लिया जो काम करे या न करे, कम से कम तिकड़मबाजी और आरोप प्रत्यारोप न करे पांच साल तक। जमीन पर मौजूद लोग महसूस कर रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी के प्रति दिल्ली के आम लोगों की भावना बेहतर हुई है। इस बार भले ही सिर्फ वोट शेयर में इजाफा हुआ, आने वाले समय में और मेहनत करके इसे ठोस परिणाम में बदला जा सकता है। #DelhiElectionResults
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लोकसभा और राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुल मिलाकर तीन घंटे से भी ज्यादा बोला। कम लोगों में ऐसी विलक्षण प्रतिभा होगी कि वो घंटों बोलकर भी कु�� न बोलें। क्या फायदा देश को इस लफ्फाजी का मोदी जी, अगर आप.. • न बेरोजगारी पर बोलेंगे, न महंगाई पर • न चीन पर बोलेंगे, न मणिपुर पर • न अडानी, न अम्बेडकर पर बोलेंगे • न कुंभ, न अमरीका के अपमान पर बोलोगे इसी संसद में नेता विपक्ष @RahulGandhi जी ने जब बोला तो भविष्य की बात की और आप इतिहास में अटके रहते हैं। राहुल गांधी ने वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में भारत के लिए एक सकारात्मक विजन रखा। लेकिन आपके हर भाषण में कांग्रेस को छोटा दिखाने के लिए इतिहास को तोड़ मोड़कर पेश करने के अलावा कुछ नहीं होता। देश की आजादी के तुरंत बाद कांग्रेस ने कहा था "छोड़ो कल की बातें, कल की बात पुरानी, नए दौर में लिखेंगे हम मिलकर नई कहानी.." लेकिन आज की भाजपा पूरे देश को बीते हुए कल में उलझाकर आने वाले कल को बर्बाद कर रही है।
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RT @INCIndia: नेता विपक्ष श्री @RahulGandhi ने महान स्वतंत्रता सेनानी श्री जगलाल चौधरी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। 📍 पटना, बिहार https://…
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RT @INCIndia: अगर सरकारी नौकरियों में 40 लाख पद खाली हैं, तो सरकार उन पर भर्ती क्यों नहीं कर रही है? दलित नौजवानों की भर्ती न हो, इसलिए…
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RT @INCIndia: The future of this country is going to be decided by the youth of India. I think anything we say has to be addressed to them.…
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RT @yuvahallabol: सरस्वती पूजा के शुभ अवसर पर आज दिल्ली के रोहिणी में जन-प्रेरणा मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में @AnupamConnects भईया ने मा…
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नेता विपक्ष राहुल गांधी जी ने आज संसद में जो शानदार भाषण दिया, वो सभी को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। अपने संबोधन के जरिए उन्होंने युवाओं से सीधा संवाद किया और देश की प्रगति को लेकर एक दृष्टि प्रस्तुत की। @RahulGandhi जी ने बताया कि बदलती दुनिया में भारत को किन चुनौतियों का किस प्रकार सामना करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार में भी बेरोजगारी संकट पर उतना काम नहीं हो पाया जितना होना चाहिए था। यह ईमानदारी उसी राजनेता में हो सकती है जिसमें भरपूर नैतिक बल हो और परिवर्तन को लेकर मजबूत इच्छाशक्ति। @RahulGandhi @yuvahallabol
As the world stands on the brink of a technological and economic revolution, India needs a new vision for growth, production, and participation—one that directly addresses our two biggest challenges: the job crisis and the lack of opportunity for 90% of Indians. Jobs come from production, which Make In India has failed to revive. But we have an opportunity with the revolution in energy and mobility - with renewable energy, batteries, electric motors and optics, and AI to bring these together. India must master a central role in this revolution, and boost production to give our youth hope for the future. Although China is 10 years ahead, we can catch up - with the right vision. An INDIA government would realign education, enlist experts, widely spread finance, and align our trade and foreign policies. Production is also the foundation of our national security. In a world where wars are not fought between armies but between industrial systems, our dependence on Chinese imports like motors and batteries puts us at risk. Internally, India is fighting against inequality that is increasing social tensions by excluding the 90%. We must conduct a caste census to understand where Dalits, Adivasis, OBCs and minorities stand today; and with the help of AI understand how best to ensure they have a fair share in the nation’s wealth and opportunities. It is only these two tracks in parallel - production and participation - which will create a robust growth story for India and a bright future for all our youth.
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महाकुंभ में हुई मौत पर सरकार से सवाल पूछने का जो ल��ग विरोध कर रहे हैं, उनका हिन्दू होना तो दूर, सच्चे नागरिक होने पर भी मुझे शक है। मानसिक गुलामी इस हद तक गहरा चुका है कि "पार्टी लाइन से अलग जाने वाले धर्मगुरुओं के निष्काषन" की मांग हो रही है। असल में ऐसे लोगों को न धर्म की चिंता है, न ही परंपरा की। इनपर तो बस पार्टी और नेता हावी हो चुका है। ये सही बात है कि दुर्भाग्यपूर्ण हादसे किसी भी सरकार में हो सकते हैं। प्रशासनिक लापरवाही किसी भी राजनीतिक दल के शासन में संभव है। लेकिन इतनी बड़ी घटना के बाद उसे 'अफवाह' बता देना शर्मनाक है। श्रद्धालुओं की लाशों को छिपाने की गंदी कोशिश कोई भी सभ्य आदमी बर्दाश्त नहीं कर सकता। सच्चाई दिखाने वाले पत्रकारों को डराने धमकाने पर हम चुप कैसे रह सकते हैं। अगले दिन जाकर पता चला कि एक नहीं, दो दो घटनाएं हुई हैं। फिर पता चला कि दो नहीं तीन हादसे हुए, लेकिन सरकार और प्रशासन ने इन्हें मानने से भी इंकार कर दिया। एक समय था जब इस तरह की घटना हो जाए तो मीडिया से लेकर जनता तक सीधा नेताओं के इस्तीफे की मांग करते थे। लेकिन अब तो लगता है जैसे इस देश से 'जवाबदेही' नामक चिड़िया विलुप्त हो गई है। कितने शर्म की बात है कि जिस समय हजारों श्रद्धालु बदहवास होकर अपने परिजनों को ढूंढ रहे थे, उसी वक्त संगम पर पुष्पवर्षा कर "सब ठीक है" का झूठा संदेश दिया जा रहा था। भाजपा और उसकी दरबारी मीडिया दूसरे दिन तक इतनी बड़ी दुर्घटना को अफवाह बताती रही। ये वही मीडिया है जो महाकुंभ से दिन रात किसी न किसी बाबा या इन्फ्लूएंसर को वायरल कर रही थी। अब वही मीडिया उन परिजनों से बात तक नहीं कर रही जिनके अपनों ने जान गंवा दिया। उन चश्मदीदों के वीडियो वायरल नहीं कर रही जिनके आंखों के सामने लोग मर रहे थे। कुछ फर्जी बाबा तो पार्टी के बचाव में कह रहे हैं कि जिनकी मौत हुई उन्हें मोक्ष मिला है। इससे यही साबित होता है कि आम लोगों की धार्मिक भावना को गुमराह करने वालों के अंदर रत्ती भर संवेदना नहीं है। हमेशा की तरह इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में भी जबरिया षडयंत्र का एंगल ढूंढा जाएगा। क्योंकि इस सरकार में रेल दुर्घटना से लेकर कुंभ में भगदड़ जैसी कोई भी घटना हो जाए, इनकी कहीं कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। मतलब जब भी कुछ अच्छा हो तो ये भरपूर क्रेडिट लेंगे लेकिन इनकी हर विफलता विपक्षी ताकतों की साजिश होती है। भारतीय राजनीति का विश्��ेषण करेंगे तो समझ आएगा कि भाजपा ने जनता का एक ऐसा वर्ग तैयार कर दिया है जो नागरिक की तरह व्यवहार ही नहीं करता। टीवी अखबार और सोशल मीडिया प्रोपेगंडा का ऐसा शिकार हुए कि सोचने समझने की क्षमता खत्म हो गई, कंटेंट के कूड़े से दिमाग जाम हो गया और मा��सिक गुलामी की अवस्था में आ गए। जिस तरह किसी पागल को पता नहीं होता कि वो पागल हो चुका है, उसी तरह इन अंध-समर्थकों को भी अपनी मानसिक हालत का आभास नहीं है। भाजपा या किसी भी पार्टी को सपोर्ट करना, वोट देना बिल्कुल गलत बात नहीं है। लेकिन ऐसा अंधभक्त हो जाना कि अपनी ही बर्बादी न दिखे, इंसान की मौत पर संवेदना खत्म हो जाए, धर्म और राष्ट्र की परिभाषा भूल जाए। नेता को धर्म का प्रचारक मान ले और धर्मगुरुओं से पार्टी लाइन पर रहने की उम्मीद करें, ये कैसे बर्दाश्त किया जा सकता। भाजपा के नेता, प्रवक्ता या कार्यकर्ता अगर ये सब करे तो हमें फिर भी गुस्साना नहीं चाहिए। लेकिन खुद को 'स्वतंत्र नागरिक' बताने वाले अगर ऐसा बर्ताव करें तो वो सभ्य समाज के निर्माण में खतरा हैं। भाजपा आईटी-सेल द्वारा प्रसारित कंटेंट के कूड़े से जिनका दिमाग जाम हो चुका है, उनको इस बार बचाव का महामंत्र दिया गया था कि "अपने घर में एक छोटा सा आयोजन करके देख लो हवा निकल जाती है, महाकुंभ में तो करोड़ों लोग हैं.." हर व्हाट्सएप ग्रुप में यही सब चल रहा है। इन्हीं लोगों के कारण हमारे समाज के सोचने समझने और सवाल करने की क्षमता भोथड़ हो रही है। सरकार से सवाल यदि न किया जाए और कमी उजागर न हो तो सुधार कैसे होगा, हम गलतियों से सीखेंगे कैसे। लेकिन नागरिक धर्म निभाने के इस कार्य को सनातन पर हमला और गिद्ध भोज जैसी संज्ञा दी जा रही थी। ये घृणित लोग हैं जो हमारे जीवंत समाज को मृत बनाकर अमृत काल का प्रचार करना चाहते हैं। कुछ तो इसमें शुद्ध रूप से मूर्ख हैं, कुछ अव्वल दर्जे के धूर्त। नादान और मूर्खों की बहुत ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए, लेकिन धूर्तों का इलाज जरूरी है।
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देश की जनता इस वक्त सबसे ज्यादा परेशान महंगाई और बेरोजगारी से है। लेकिन बजट से ये दोनों शब्द पूर्णतः गायब हैं। "मिडल क्लास को कर राहत" वाली जिस बात का ढिंढोरा पीटा जा रहा है, उसका असर देश की मात्र 1% जनता पर होगा। गोदी मीडिया चाहे जितना भी माहौल बनाए, सच तो ये है कि गरीब और मिडल-क्लास को इस बजट ��े खास फायदा नहीं होने वाला।
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#IncomeTax वाली डिबेट तो उनके लिए है जिसके पास नौकरी रोजगार है, उनका क्या होगा मोदी जी जो बेरोजगार हैं? वैसे इस बजट को सुनकर पूरा देश समझ गया होगा कि अगला चुनाव बिहार में होने वाला है। लेकिन चुनावी लालच में भी यह सरकार आम जनता को घोषणाओं से ज्यादा कुछ नहीं देती। उदाहरण के लिए पिछले दस साल से हर बजट में मखाना को लेकर कोई न कोई घोषणा होती है, लेकिन सब जानते हैं स्थिति जस की तस है। 2015 में मोदी जी ने सीना ठोकते हुए बिहार को सवा लाख करोड़ देने की जो भव्य घोषणा की थी, आज भी जनता उसके इंतजार में है। मोदी सरकार की नई घोषणाओं का ढिंढोरा पीटने वाली मीडिया को यह भी पूछना चाहिए कि उनके पिछली घोषणाओं का क्या हुआ.. #BudgetSession2025
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यमुना के नाम पर दिल्ली को ठगने वाले अरविंद केजरीवाल ने वादा किया था कि 2025 चुनाव से पहले वो नदी में डुबकी लगाकर दिखाएंगे वरना उनको वोट न दिया जाए। ऐसे में हमारे साथी @_govindmishra और @prashant_kamal1 ने केजरीवाल जी के कटआउट को यमुना में डुबकी लगवाकर सरजी को उनका वादा याद कराया। #डुबकी_लगाओ_केजरीवाल
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RT @ThePrintIndia: 'Congress is not a ‘vote cutter’ party. It’s reviving in Delhi' Congress member Amitabh Dubey @dubeyamitabh writes #Th…
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RT @yuvahallabol: 'Delhi’s glory will return under Congress rule': 'Yuva Halla Bol' leader Anupam credits @RahulGandhi for his entry into p…
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RT @news24tvchannel: "प्रशासन सिर्फ़ VIP लोगों की सेवा में लगा रहा" ◆ महामंडलेश्वर प्रेमानंद पुरी ने महाकुंभ म��ं हुई भगदड़ पर कहा #Mah…
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महाकुंभ के पवित्र आयोजन में भगदड़ के कारण हुए हृदयविदारक घटना में कई श्रद्धालुओं की जान चले जाने की दुखद खबर आ रही है। मेरी गहरी संवेदना मृतकों के परिजनों से है और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। इसका एक बड़ा कारण है कि VIP सेवा में लगे शासन प्रशासन के लिए आम लोगों का हुजूम 'भक्तों की भीड़' से ज्यादा कुछ भी नहीं है। तभी तो श्रद्धालुओं के लिए सेवा सुविधा और मेला प्रबंधन से ज्यादा ध्यान भाजपा नेताओं की ब्रांडिंग और प्रचार पर हो रहा है। ऐसे में वही हुआ जिसका डर था। एक तरफ जहां श्रद्धालुओं को कई किलोमीटर घंटों पैदल चलना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ भांति भांति के VIP के आवभगत में लेन खाली करवाया जा रहा। आम लोगों में भारी असंतोष है लेकिन मीडिया तो जनता की रही नहीं जो इन खबरों को दिखाए और सरकार पर दबाव बने। जब शासन प्रशासन का ध्यान प्रबंधन की बजाए प्रचार पर टिका हो तो ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं स्वाभाविक है। अभी भी भाजपा के नेता और मीडिया यही बताने में व्यस्त है कि प्रधानमंत्री ने 'चार बार' मुख्यमंत्री को फोन करके हाल जाना। इतना बड़ा हादसा हो जाने के बावजूद सरकार की तरफ से अब तक कोई आंकड़ा नहीं बताया जा रहा। लेकिन ग्राउंड रिपोर्टिंग कर रहे पत्रकारों का कहना है कि तस्वीरें विचलित करने वाली हैं और कई लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया है। दरबारी मीडिया से निवेदन है कि भाजपा के लिए डैमेज कंट्रोल करने और प्रधानमंत्री मोदी की इमेज प्रबंधन करने की बजाए सरकार से सही आंकड़ा प्रस्तुत करने और महाकुंभ की तैयारी पर सवाल करें।
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गाजीपुर स्थित कूड़े के विशाल पहाड़ का दौरा करते हुए आज कुछ साथियों ने दिल्ली की तीन निशानी पर बातचीत की। 'कूड़े पर चर्चा' के बाद सब इस नतीजे पर पहुंचे कि केजरीवाल और मोदी ने मिलकर देश की राजधानी को सांस लेने लायक भी नहीं छोड़ा है। अगर हमें अपनी दिल्ली को बचाना और बनाना है तो एकमा��्र विकल्प कांग्रेस ही है जिसने सही मायने में दिल्ली का निर्माण किया। आपको याद होगा कि 'कचरा मुक्त दिल्ली' का वादा आम पार्टी ने और भाजपा ने भी किया था। लेकिन पिछले दस साल से दोनों अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाए एक दूसरे पर ही कूड़ा कचरा फेंकते रहे। आम पार्टी और केजरीवाल जी ��े कई बार वादा किया था कि दिल्ली में जो कूड़े के तीन पहाड़ हैं, वो सब खत्म कर दिया जाएगा। भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने भी भरोसा दिया था कि तीन साल के अंदर गाजीपुर पहाड़ को खत्म कर देंगे, लेंगे उनकी राजनीति ही खत्म हो गई। दिल्ली को नर्क बनाने वाले जुमलेबाज और धोखेबाज को इस बार सजा देना जरूरी है!
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RT @INCIndia: देश में नोटबंदी हुई, गलत GST लागू हुई। लेकिन अगर आप छोटे दुकानदारों, व्यापारियों से पूछेंगे तो पता चलेगा कि नोटबंदी और गलत…
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आज गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर दिल्ली स्थित @yuvahallabol के कार्यालय परिसर में ध्वजारोहण किया गया। भा��त के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के 75 वर्ष पूरे होने पर सभी देशवासियों को शुभकामनाएं। यह मौका है उन महान क्रांतिवीरों और हमारे स्वतंत्रता आंदोलन को स्मरण करने का जिसने भारत में संवैधानिक मूल्यों और लोकतंत्र की स्थापना की। आइए प्रण लें उस संविधान और लोकतंत्र को बनाए रखने की जिसने हमें ताकत और अधिकार देकर प्रजा से नागरिक बनाया। #RepublicDay2025
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इतिहास गवाह है कि "बेईमान" नेताओं की सूची जारी करना और बाद में उनसे माफी मांग लेना अरविंद केजरीवाल का प्रमुख राजनीतिक धंधा रहा है। कपिल सिबल, बिक्रम मजीठिया, नितिन गडकरी से लेकर अरुण जेटली तक न जाने कितने लोगों पर आरोप लगाकर केजरीवाल जी ने क्षमा याचना कर ली। मुलायम सिंह यादव, मायावती, लालू यादव से लेकर शरद पवार जैसे कई नेताओं को सबसे भ्रष्ट बताया फिर उनके समर्थन की गुहार लगाई। मशहूर कहावत है कि आप कुछ लोगों को कुछ समय तक तो बेवकूफ बना सकते हैं, लेकिन हर किसी को हर समय बेवकूफ नहीं बना सकते। आम लोग समझ गए हैं कि भारतीय राजनीति के नैतिक पतन में सबसे बड़ी भूमिका मोदी और केजरीवाल की है। गोदी मीडिया की मदद से सत्ता तक पहुंचने के लिए जो आरोप मोदी और केजरीवाल ने कांग्रेस पर लगाए थे, आज तक उसको साबित नहीं कर पाए हैं। पिछले दस साल से दिल्ली को चलाने की अहम जिम्मेदारी आम आदमी पार्टी और भाजपा की थी। लेकिन इन दोनों ने एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप और छींटाकशी के ड्रामे के अलावा कोई काम नहीं किया। उल्टा जो काम शीला दीक्षित ने किया था दिल्ली को बनाने संवारने का, उसको दस साल पीछे धकेल दिया। जिस दिल्ली को कांग्रेस की सरकार में सपनों का शहर बनाया जा रहा था, उसे आज इन्होंने दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर बना दिया है। मतलब आज के दिल्ली की है तीन निशानी जहरीली हवा, बिखरा कूड़ा और नल से गंदा पानी! इसलिए दिल्ली का चुनाव दो तरह के मॉडल के बीच है। एक है कांग्रेस का शीला दीक्षित मॉडल जिसको हमारे आलोचक भी काम का मॉडल मानते है। दूसरा है मोदी-केजरीवाल का धोखा मॉडल जो सिर्फ नाम का मॉडल है।
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