![कुंवर अभी सिंह Profile](https://pbs.twimg.com/profile_images/1635197031303061505/AcjrNLV1_x96.jpg)
कुंवर अभी सिंह
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@elonmusk 🤛🤛🖕 Go, the beggar does not give you alms you can increase your status only by earning money To earn money, you will auction your wife, children, mother and sister even if you have to🆘 @premium
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इसलिए लौट आता हूं क्यों कि..... मेरे प्रेम में प्राण है ये जीवित रहेंगे मेरी मृत्यु के पश्चात मैं निराश नहीं होता मेरी नाराजगी में अपनापन इसलिए मनुहार के बिना भी वापस लौटता हूं ! मेरा प्यार उस प्रभात सूरज की स्निग्धता है जिसके स्पर्श से ओश की बूंद भी गरिमामय हो चमकने लगती है मैं इसलिए लौट आता हूं इस प्रेमवत की अहमियत मेरी जिंदगी है!! मैं लौट आता हूं ताकि सुना सकूं दिल की कई दफा अपने मन और दर्द को तेरे सामने बयान करके रो देता हूं मेरे लिए मायने रखता है मुझे सुन कर , मुझे समझ कर तुम प्यार से मुझे गले लगा लो😔 । फिर कह दो... रो मत पगल ऐसा और नहीं होगा में तुम्हारी हु,कही नहीं गई मैं हूं न साथ ....
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सुनो ना...... तुमसे बात करना मेरी तलब नहीं, ना ही शौक़ है मेरा ये जरूरत है मेरी,मेरे वजूद को बिखरने से बचाये रखने के लिए... तुम्हारी आवाज़ मुझे तुम्हारे करीब होने का एहसास कराती है, अलग अलग जगह रहते हुए भी मीलों की दूरियों के बावजूद भी, हम एक दूसरे के बेहद करीब होते हैं... हमेशा! हर पल, हर लम्हा अपने शब्दों के माध्यम से तुम्हारी आवाज़ ,तुम्हें मेरे क़रीब होने का एहसास कराती है! तुम्हारी बातों से, ज़िन्दगी जीने का हौसला मिलता है मुझे साथी मेरे,कहतें हैं प्रेम में अल्फाज़ो का क्या काम? प्रेम मौन में महाकाव्य है, पर तभी, जब रूबरू होके निग़ाहों से बातें हो सकें... हमारे पास तो तुम्हें महसूस कर पाने का एकमात्र जरिया ही तुम्हारी आवाज़ है... सुनो.... कहीं भी रहना, कितनी भी दूर रहना, बस आवाज भर की दूरी पर ही रहना..... ❣️
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"लगन प्रेम" में उपलब्धि प्रेषित मन स्वयं में झिंझोड़ती जीवात्म में बिखरा रक्त हृदय बर्बरता लिए, संग तुम्हारे बिखर बिखर कर वज़ूद के अनंत टूटे ख्वाब में अपनी प्रेम पराग अमृत रूपी छाया प्रति को पुनः प्राप्त करने को में असहाय में "कुँवर" अब आखरी पड़ाव पर तुमसे प्राप्त प्रेम में "त्याग "तिरस्कार "त्रास "द्वेष "दरिद्रता" हर "धितकार्यमान" युक्ति से युक्त हो दृढ़ता से चरम सीमा पर पहुंच मैं "कुँवर" किसी "टूटे "सुखे "निर्जिव "शतविक्षत्त कुचले "पुष्पपक्ष" सा पुनः "प्रेम यकृत" प्राप्ति तलाश में "तुम बंजर भूमि" को, मेरे आखरी अंत में सम्हले एक सुक्ष्म कण से सीच कर, तुम्हे "उपज" सी भर प्रकृति की सबसे "मधुर सौंदर्य सिंदरी" बगिया में स्वयं रोपण हो खिल जाना चाहता, परंतु :- संभव प्रयास लिप्त होकर "मुझे प्रेम तृष्णा से तराश कर मृत कामना तक पहुंचने में सक्षम तुम्हारा सर्वश्व प्रेम है" होगा" और रहेगा" कुँवर 🌟 🌟 🌟 🌟 🌟
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सुनो प्रिय इस अलौकिक जगत में संपूर्णतः प्रेमत्ववास है और तुम उस प्रेम का सर्वश्रेष्ठ हिस्सा हो मेरे लिए। ईश्वर निर्धारित क्षण बेहद भावविभोर अनंत समर्पण सुखद हुआ जब हम विलीनता के अद्भुत अनंत संजोए प्रेम के गर्भगृह में स्वयं का नवीनीकृत कर प्रेम विकासात्मक स्तिथि में लिप्त हुए, उन क्षण बूंद में जन्म जन्मांतर प्रेम प्यास तृप्ति की अनुभूति मिली, अंततः साक्षात्कार हुआ विपरीत परस्थिति के समक्ष प्रेम विरोधा भास में तब्दील हो "गहन पीढ़ा अश्रु वेदना विरह" हो पृथक विकलांग पथ पर अग्रेषित हुआ, एक रहा:- लक्ष्य पथ में अग्रसर "स्वयं" को, प्रेम को, साथी को, समस्त संसार को, त्याग खुदको न्योछावर कर "मोक्ष एवं ईश्वर प्राप्ति" पर, दूजा रहा:- "प्रेम" समर्पण सर्वज्ञ सर्वश्रेष्ठ रख,मोक्ष के पथ चल, अपने साथी से मिले प्रेम में ईश्वर निहार कर यातनाअग्नि चिडन जलन अश्रु मेघ में ज्वललात हो ईश्वर प्रेम को पाने एक आश्चर्यतन प्रेम में किए "केंद्र बिंदु" तक प्रेमी का हाथ थाम किए जाने वाले "वादे" के पीछे अग्रसर, इसका साक्ष्य स्वयं ईश्वर ये भविष्य तय करेगा मोक्ष, प्रेम को या प्रेम में मोक्ष को प्राप्ति मिलेगी🦚 कुँवर 🌟🌟🌟🌟🌟
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पीर प्रेम की जो ऐसन मन लागी ना मै रहो स्वयं को, तेरी धुन लागी.... जैसे किसी देव तुल्य प्राण प्रतिष्ठा कर घंटा शंखनाद के साथ देवालय में स्थापित किया ठीक वैसे ही मेरे अंतर्मन में सुसज्जित स्थापित "हो मेरे तुम" शायद कभी कोई तो कमी रही प्रेम भक्ति में मेरे किंचित ही में वरन् ना कर सका तुम्हारा तुम्हारा न हुआ कदापि न होगा ये कुंवर
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