![Sushila kajla Profile](https://pbs.twimg.com/profile_images/1862176412414750720/m_SR0R8z_x96.jpg)
Sushila kajla
@sushilakajla2
Followers
18K
Following
312K
Statuses
139K
Tea lover, I always support truth सत्यमेव जयते
Jaipur
Joined February 2022
यह बहुत ही जरूरी मुद्दा है, इस पर बोलने के लिए आपका आभार। कृपया ये आवाज़ विधानसभा में भी उठाएं।
कहाँ हैं हमारे 50% शिक्षक? ‘राइजिंग राजस्थान’ का सपना देख रहे प्रदेशवासियों को इस बात की चिंता तो होगी, कि यहाँ नए उद्यम लगेंगे, स्टार्ट अप शुरू होंगे, कारखाने लगेंगे तो उनमें काम करने वाले ‘स्किल्ड’ युवा भी चाहिए। पर्यटन की बड़ी पहचान वाले प्रदेश का ये सपना भी होगा कि ग्रामीण इलाक़ों में बसी आबादी तक विकास का उजाला पहुंचेगा ताकि, उनकी आर्थिक उन्नति के साथ उनके परिवार की शैक्षिक और स्वास्थ्य की स्थिति भी अच्छी हो। यहाँ की धरोहर भी बचे और अपनी मिट्टी से जुड़ी नई पीढ़ी जल्दी अपने पैरों पर खड़ी हो। बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ में हर साल अव्वल आने वाले राजस्थान को देश को ये भी बताना होगा, कि दूर दराज में रह रही उसकी बेटियां, स्कूल जा पा रही हैं कि नहीं….और ये भी कि उन्हें पढ़ाने के लिए कितनी महिला शिक्षिकायें मौजूद हैं। और जानना ये भी ज़रूरी है कि, मूल शिक्षा और गुणवत्ता शिक्षा दोनों से वंचित इलाके के बच्चे और युवा, कहीं अपराधियों के चंगुल में या फिर गंभीर बीमारियां के दुष्चक्र में तो नहीं फँस रहे? आंकड़े जो कहानी कह रहे हैं, उससे ये नज़र आ रहा है कि ना बच्चों और बच्चियों की शिक्षा की नींव मज़बूत हो पा रही है, न उनके लिए नियुक्त होने वाले शिक्षक इतने हैं कि उनकी सोच समझ की ज़रूरत पूरी हो सके। युवाओं को भी, ��्रदेश और देश की ज़रूरत के मुताबिक़ शिक्षा और प्रशिक्षण हासिल नहीं। प्रदेश में 9वीं से 12वीं शिक्षकों के 28% पद ख़ाली हैं। और बाक़ी जो सीमावर्ती और आदिवासी इलाक़े हैं, उनके हाल सच में बेहाल हैं। अकेले जैसलमेर में शिक्षकों के 52% और बाड़मेर में 48% पद ख़ाली हैं। ये सरकारी स्कूलों की स्थिति है। फ़िक्र भी इसी आबादी की ज़्यादा है जो न निजी स्कूलों में पढ़ने का खर्च उठा सकती है, न अपने स्वास्थ्य के बारे में ज़्यादा सचेत है। ये गरीबी में दबे हुए वो लोग हैं, जिन्हें शिक्षा की ज़रूरत और पेट की भूख, कहाँ कहाँ भटकाएगी पता नहीं। ऐसे में जिन बच्चों को न विज्ञान का शिक्षक नसीब है, न प्रयोगशालाएँ, न पुस्तकालय और न आगे बढ़ने के अवसर, ऐसी पीढ़ी न सिर्फ़ अपने परिवारों के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए दुःख की वजह बनेगी। और उनके इस भविष्य के लिए हम सब ज़िम्मेदार माने जाएँगे, जो न उनके लिए पढ़ाई और शिक्षकों का इंतज़ाम कर पा रहे हैं, न उनके हक़ की बात सरकारों तक पहुँचा पा रहे हैं। सीमा के इलाक़े, न सिर्फ़ हमारी मिट्टी की सुरक्षा करते हैं, बल्कि हमारी विरासत को, हमारी परंपरा को भी सदियों से बचाकर रखने का काम कर रहे हैं, इसलिए यहाँ शिक्षा के सवाल को हल करना सबकी प्राथमिकता में रहे, ये ज़रूरी है। @madandilawar @RajCMO
1
4
30